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| science fact |
कंकाल तंत्र=>
• मानव शरीर का ढ़ाचा बनाने वाले अंगो को कंकाल कहते है |
• कंकाल मेँ अस्थि , उपास्थि , मांसपेशिया होती हैँ |
• अस्थि कैल्सियम फॉस्फेट की बनी होती है |
• अस्थि मेँ ओसिन प्रोटिन होता है |
•अस्थियोँ से संबंधित अध्ययन को ऑस्टियोलॉजी कहाँ जाता हैँ |
• मानव शरीर मेँ 206 अस्थियाँ |
• नवजात शिशु मेँ 300 अस्थियां |
• मानव शरीर मेँ 639 मांस पेशियां होती हैँ |
• कंकाल दो भागोँ मेँ बांटा गया हैँ-
1. अंक्षीय कंकाल - खोपड़ी , कशेरूक दण्ड , छाती की अस्थियां ।
2. अनुबंधी कंकाल - श्रेणी मेखला , अंश मेखला , हाथ-पैर की अस्थियां |
1. अक्षीय कंकाल=>
खोपड़ी के अंग=>
• कपाल - 8 अस्थियोँ का बना होता है मस्तिक को सुरक्षा प्रदान करता हैँ |
• चेहरा - 14 अस्थियोँ का बना शरीर की सबसे बड़ी मजबूत अस्थि जबड़े की अस्थि होती है |
• कान - दोनोँ कान मे 6 अस्थिया , हमारे शरीर की सबसे छोटी अस्थि स्टेपिस कान की
ज्ञात्वय:- सबसे छोटी मांसपेशी भी स्टेपिस होती हैँ |
• हाइड अस्थि - इस अस्थि से जीभ जुड़ी होती है तथा इसकी संख्या एक होती है |
कशेरुक दण्ड=>
• रीढ़ की हड्डी को कशेरुक दण्ड कहा जाता हैँ |
• 33 कशेरुको से बनी होती है |
• पहला कशेरुक एटलस कहलाता है |
• 33 वाँ कशेरूक कॉडन कहलाता है , जो की पूर्वजोँ मेँ पूंछ का निर्माण करता था |
• कशेरुक दण्ड मे मेरूरज्जू होती है तथा यह प्रतिवर्ती क्रियाओँ को संचालित करती हैँ
जिनका संचालन बिना सोचे - समझे किया जाता है , इसमे मस्तिक का प्रयोग नहीँ होता
Ex. गर्म वस्तु को छूने से हाथ को हटाना ।
कांटा चुभने पर पैर को हटाना |
छाती की अस्थियां=>
• छाती मेँ 25 अस्थिया |
• 24 पंसलियां तथा 1 र्स्टनम अस्थि |
• र्स्टनम अस्थि वक्ष के बीचोँ बीच होती हैँ |
• पंसलियां पीछे की और कशेरुक दण्ड से तथा आगे की और र्स्टनम अस्थि से जुड़ी होती है परन्तु दो जोड़ी 4 पंसलिया आगे की और स्टर्नम से नहीँ जुड़ी होती है . तो इन्हेँ "मुक्त पसलियां" कहा जाता हैँ |
• मनुष्य मेँ पसलियोँ की अधिकतम संख्या होती हैँ |
• छाती मेँ अस्थियां ह्रदय व फेफड़ो की सुरक्षा करती हैँ |
2. अनुबंधी कंकाल=>
श्रेणी मेखला=>
• श्रेणी मेखला मे इलियम इशिचयम व प्यूबिस अस्थियां |
• इन तीनोँ अस्थियोँ का जोड़ एक गर्त का निर्माण करता है जिसे एसिटाबुलम कहा जाता हैँ तथा पैर की अस्थियोँ को जोड़ने के लिए स्थान प्रदान करता हैँ |
अंश मेखला=>
• 4 अस्थियां होती हैँ |
• गले की अस्थि को क्लेविकल कहा जाता हैँ |
• क्लेविकल को कॉलर बोन भी कहा जाता हैँ तथा शरीर की सुन्दर हड्डी भी कहा जाता हैँ |
• कंधे की अस्थि को स्केपुला कहा जाता है तथा यह "तिकोनी" हड्डी होती हैँ |
• क्लेविकल व स्केपुला के जोड़ पर एक गर्त बनता है जिसे ऐसिटाबुलम कहा जाता हैँ इसी के माध्यम से अंसमेखला हाथ की अस्थियां से जुड़ी होती हैँ |
हाथ की अस्थियां=>
• एक हाथ मेँ कुल 30 अस्थियां होती है तो दोनो मेँ कुल मिलाकर 60 |
• ऊपरी भुजा ह्यूमरस अस्थि की बनी होती है |
• अग्र भुजा मेँ रेडियस व अलना अस्थि होती है , ये एक - दूसरे से जुड़ी हुई नहीँ होती |
• कलाई की अस्थियोँ को कार्पल्स कहते हैँ |
• हथेली की अस्थियोँ को मेटाकार्पल्स |
• अंगुलियोँ की अस्थि को फैलेँजस |
• एक अंगुली मेँ तीन अस्थियां और अंगुठे मे दो अस्थिया होती हैँ |
पैर की अस्थियां=>
• एक पैर मेँ 30 अस्थियां तो दोनो पैर मे 60 |
• जांघ मेँ फीमर अस्थि होती हैँ |
• फीमर शरीर की सबसे बड़ी तथा लम्बी अस्थि हैँ , इसमेँ रक्त का निर्माण होता हैँ |
• घुटने मेँ पटेला अस्थि होती है यह गौल अस्थि होती हैँ |
• पिण्डली मेँ टिबिया व फिबुला अस्थि |
• पिण्डली व फिबुला एक - दूसरे से जुड़ी हुई नहीँ होती |
• टखने की अस्थि को टार्सल्स कहते है |
• तलवे की अस्थि को मेटाटार्सल्स |
• मेटाटार्सल्स आकार मेँ बड़ी होती है तथा एड़ी का निमार्ण करती हैँ |
• पैर की अंगुलियोँ की अस्थियोँ को भी फैलेन्जस कहा जाता हैँ |
अस्थि संधि=>
• अस्थि संधि उस स्थान को कहा जाता है जहाँ दो या दो से अधिक अस्थियां जुड़ती है
@ दो अस्थियोँ के मध्य खाली जगह होती हैँ जिसे "सिनोवियल गुहा" कहते हैँ |
• इस गुहा मे सिनोवियल द्रव होता है जो कि स्नेहक का कार्य करता हैँ ताकि अस्थियां जोड़ वाले स्थान पर बिना किसी घर्षण के आसानी से हिल-डूल सके |
• अस्थि से अस्थि को जोड़ने वाला तंतु लिगामेँट कहलाता हैँ |
{ज्ञात्वय- बल्ब मेँ टंगस्टन कार्बन इत्यादी धातु का तन्तु "फिलामेँट" कहलाता हैँ टंगस्टन का गलनांक 3500'C होता हैँ |
• अस्थि से मांसपेशी को जोड़ने वाला तंतु टेण्डन कहलाता हैँ |
अस्थि संधि के प्रकार=>
1. कंदुक खल्लिका संधि/अस्थि - अंसमेखला व ह्मूमरस अस्थि का जोड़ , श्रेणि मेखला व फीमर अस्थि का जोड़
• सैडिल संधि - अंगुठे का जोड़ |
• ग्लाइडिँग संधी - कलाई का जोड़ , कमर के कशेरूक का जोड़ |
• हिंज संधि - कोहनी का जोड़ , घुटने का जोड़ |
• खूंटी संधि - खोपड़ी व कशेरूक दण्ड का जोड़ |
• मानव शरीर का निर्माण निम्न तंत्रों द्वारा=>
1. कंकाल तंत्र
2. संधि तंत्र
3. पेशीय तंत्र
4. रुधिर परिसंचरण तंत्र
5. आशय तंत्र-
(¡) श्वसन तंत्र
(¡¡) पाचन तंत्र
(¡^) मूत्र व जननतंत्र
6. तंत्रिका तंत्र
7. ज्ञानेन्द्रिय तंत्र |
• संधि तंत्र=> दो या अधिक अस्थियों के जोड़ को संधि कहते हैं इसमें स्नायु (ligaments) सहायक होते हैं |
• पाचन तंत्र मेँ=> मुख, ग्रासनली, आमाशय, पक्वाशय, यकृत, छोटी आँत, बड़ी आँत इत्यादि होते हैं पाचन तंत्र में भोजन के पचने की क्रिया होती है ।
• अधिकांश भोजन का पाचन छोटी आँत मेँ होता हैँ |
• श्वसन तंत्र=> श्वसन तंत्र में नासा कोटर कंठ, श्वासनली, श्वसनी, फेंफड़े आते हैं |
• उत्सर्जन तंत्र=> उत्सर्जन तंत्र में मलाशय, फुफ्फुस, यकृत, त्वचा तथा वृक्क होते हैं |
• त्वचा के द्वारा पसीने की ग्रंथियों से पानी तथा लवणों का विसर्जन होता है |
• किडनी में मूत्र का निर्माण होता है |
• परिसंचरण तंत्र=> रक्त परिसंचरण तंत्र में हृदय, रक्तवाहिनियां नलियाँ, धमनी, शिराएँ, कोशिकाएँ आदि सम्मिलित हैं |
• हृदय में रक्त का शुद्धीकरण होता है |
• हृदय की धड़कन से रक्त का संचरण होता है |
• रक्त संचरण की खोज 1628 में विलियम हार्वे ने कि थी |
• रक्त समूह की खोज कार्ल लैडस्टीनर ने 1900 ई मेँ इन्हेँ 1930 मेँ नोबल पुरस्कार मिला |
• अंत:स्रावी तंत्र=> शरीर के विभिन्न भागों में उपस्थित नलिका विहीन ग्रंथियों को अंत:स्रावी तंत्र कहते हैं, इनमें हार्मोन बनते हैं और शरीर की सभी रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण इन्हीं हार्मोनों द्वारा होता है |
Ex- पीयूष ग्रंथि, यकूत थाइराइड ।
• पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि भी कहते हैं |
• पीयूष को बैण्डमास्टर ऑफ आर्केस्ट्रा भी कहा जाता है |
• कंकाल तंत्र=> मानव शरीर कुल 206 हड्डियों से मिलकर बना है
हड्डियों से बने ढांचे को कंकाल-तंत्र कहते हैं
हड्डियां आपस में संधियों से जुड़ी रहती हैं
सिर की हड्डी को कपाल गुहा कहते हैं |
• लसीका तंत्र=> लसीका ग्रंथियाँ विषैले तथा हानिकारक पदार्थों को नष्ट कर देती हैं और शुद्ध रक्त में मिलने से रोकती हैं ।
लिम्फोसाइट्स ग्रंथियां विषैले तथा हानिकारक पदार्थों को नष्ट कर देती हैं और शुद्ध रक्त मेँ मिलने से रोकती है
• त्वचीय तंत्र=> शरीर की रक्षा के लिए सम्पूर्ण शरीर त्वचा से ढंका रहता है |
पेशी तंत्र=> सम्पूर्ण मानव शरीर में 639 से अधिक पेशियाँ होती हैँ |
तंत्रिका तंत्र=> तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों एवं सम्पूर्ण जीव की क्रियाओं का नियंत्रण करता है। पेशी संकुचन, ग्रंथि स्राव, हृदय कार्य, उपापचय तथा जीव में निरंतर घटने वाली अनेक क्रियाओं का नियंत्रण तंत्रिका तंत्र करता है |
प्रजनन तंत्र=> |
• विशिष्ट ज्ञानेन्द्रिय तंत्र=> देखने के लिए आँखें, सुनने के लिए कान, सूँघने के लिए नाक, स्वाद के लिए जीभ तथा संवेदना के लिए त्वचा ज्ञानेन्द्रियोंका काम करती हैं। इनका सम्बंध मस्तिष्क से बना रहता है |
मानव शरीर से संबंधित
1. वस्यक व्यक्तियों में अस्थियों की संख्या :→ 206 |
2. खोपड़ी में अस्थियां :→ 28 |
3. कशेरुकाओ की संख्या :→ 33 |
4. पसलियों की संख्या :→ 24 |
5. गर्दन में कशेरुकाएं : → 7 |
6. श्वसन गति :→ 16 बार प्रति मिनट |
7. हृदय गति :→ 72 बार प्रति मिनट |
8. दंत सूत्र :→ 2:1:2:3 |
9. रक्तदाव :→ 120/80 |
10. शरीर का तापमान :→ 37 डीग्री C व 98.4 फ़ारेनहाइट |
11. लाल रक्त कणिकाओं की आयु :→ 120 दिन |
12. श्वेत रक्त कणिकाओ की आयु :→ 1 से 3 दिन |
13. चेहरे की अस्थियां :→ 14 |
14. जत्रुक की संख्या :→ 2 |
15. हथेली की अस्थियां :→ 14 |
16 पंजे की अस्थियां :→ 5 |
17. ह्दय की दो धड़कनों के बीच का समय :→ 0.8 सैकण्ड |
18. एक श्वास में खीची गई वायु :→ 500 मि.मी. |
19. सुनने की क्षमता :→ 20 से १२० डेसीबल |
20. कुल दांत :→ 32 |
21. दूध के दांतों की संख्या :→ 20 |
22. अक्ल दाढी निकलने की आयु :→ 17 से 25 वर्ष |
23. शरीर में अमीनों अम्ल की संख्या :→ 22 |
24. शरीर में तत्वों की संख्या :→ 24 |
25. शरीर में रक्त की मात्रा :→ 5 से 6 लीटर (शरीर के भार का 7 प्रतिशत) |
26. शरीर में पानी की मात्रा :→ 70 प्रतिशत |
27. रक्त का PH मान :→ 7.4 |
28. ह्दय का भार :→ 300 ग्राम |
29. महिलाओं के ह्दय का भार :→ 250 ग्राम |
30. रक्त संचारण में लगने वाला समय :→ 22 सैकण्ड |
31. छोटी आंत की लंबाई :→ 22 फीट |
33. शरीर में पानी की मात्रा :→ 22 लीटर |
34. मष्तिष्क का भार :→ 1380 ग्राम |
35. महिलाओं के मष्तिष्क का भार :→ 1250 ग्राम |
36. गुणसूत्रों की संख्या :→ 23 जोड़े |
37. जीन्स की संख्या :→ 97 अरब |
